कबीर-माँस माँस सब एक है, मुरगी हिरनी गाय।
आँखि देखि नर खात है, ते नर नरकहिं जाय।।
कबीर-यह कूकर को भक्ष है, मनुष देह क्यों खाय।
मुखमें आमिख मेलि के, नरक परंगे जाय।।
#महापापी_जो_करे_जीवहिंसा
Sant Rampal Ji Maharaj

कबीर-माँस माँस सब एक है, मुरगी हिरनी गाय।
आँखि देखि नर खात है, ते नर नरकहिं जाय।।
कबीर-यह कूकर को भक्ष है, मनुष देह क्यों खाय।
मुखमें आमिख मेलि के, नरक परंगे जाय।।
#महापापी_जो_करे_जीवहिंसा
Sant Rampal Ji Maharaj